[Maithili Song] [Chaiti] Aayal Chait Madhur Rang Pancham






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आयल चैत मधुर रंग पॉचम [ Singer : Rajni Pallavi ] [चैतावर]
कवि/गीतकार : श्री शिव कुमार झा 'टिल्लू'

फागुन मास मे भौरा मातल रहैत छै आ आनन्द मे डूबल रहैत छैक मुदा चैत मे भौरा मातलो रहैत छैक आ कछ्मछायतो रहैत छैक । दुनू मास मे वसंत रहैत छैक, फागुन मे वसन्तक आगमन होयत छैक आ वसंत जवान भ' जाइत छैक मुदा चैत मे नायक नायिका अनुभवी भ' गेल छैक मुदा बुढापा सेहो आबि जेबाक डर रहैत छैक तै वसंत क' कछ्मछी, कनकनी आ उष्ण मलयानिल छनका सेहो दैत छैक, फागुनक वसंत अज्ञानी छैक, अबूझ छैक, ओ मदमस्त छैक, ओकरा किछु नहि चाही ओ फुलक कांटो मे घुसिया जाइत छैक मुदा चैतक वसंत अनुभवी, सज्ञानी आ सलज्ज छैक, ओकरा बुल बुलक पंचम रागक गीत चाही, बाबूर वनक कोयलीक पी पी त' चाही, ओकरा भाउजक सोहर चाही, ओ स्थिर अछि, ओकरा कतबो सुखायल मलयानिल छनकाबय छैक  मुदा ओ निश्चिन्त अछि, ओकरा जों कनेको आंदोलित किछु  करैत छैक त' ओ  अल्प समय छैक ।

एहि  समयक चित्रण कवि, गीतकार श्री शिव कुमार झा 'टिल्लू' एतेक सटीक केलनि अछि जेकर वर्णन करब कठीन छैक । श्री शिव कुमार झा 'टिल्लू', करियन, समस्तीपुर बासी स्व० कालीकांत झा, 'बुच' क' पुत्र थिकाह । अपन पिता जकाँ श्री शिव कुमार झा 'टिल्लू' साहित्य साधना मे लागल छथि । क्षणप्रभा (कविता संग्रह) आ अंशु (समालोचना) हिनक अमूल्य कीर्ति छनि । स्थापित समालोचक छथि । एक शब्द मे कही त' श्री टिल्लू मिथिलांगनक उज्जवल भविष्य छथि । ई चैत मासक वर्णन आ स्थितिक चित्रण बहुत सुन्दर ढंग सं केलनि अछि । शब्द विन्यास एहन सुगम केने छथि जे लगैत छैक जेना समय ठहरि गेलैक अछि । आशा अछि भविष्य मे एहने सुन्दर, ललित ओ मनोहर रचना करैत रहताह ।

जय मिथिला-जय मैथिल
रजनी पल्लवी
Author: Rajni Pallavi
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